कविता और कहानी में एक फ़र्क और भी है - कविता का टंकण (टाइपिंग) सरल और कहानी का मुश्किल । कहानी के हजारों शब्दों को टाइप करना अपने आप में एक प्रक्रम हो जाता है। पहले का मेरा सारा लिखा किसी दूसरे फांट में है और यही कारण है कि गद्द मुझे स्कैन करके देने पडे और पढने में आप सबको असुविधा हुई। लेकिन अब मैं जो भी लिख रहा हूं वह सब यूनिकोड में इसलिये वह सब आसानी से ब्लाग पर दे पाउंगा। बहरहाल, एक ताज़ा रचना प्रस्तुत है इसका स्वरूप/वर्ग क्या है इसका खुलासा भी अंतिम दो पंक्तियों में कर दिया है -
गुबार है दिल का निकल जायेगा
बदला लेने से क्या बदल जायेगा।
खिलौने जब तक है दुनिया में
मन तो बच्चा है मचल जायेगा।
सहलाते रहने से नासूर बनता है
कुरेदोगे तो कांटा निकल जायेगा।
जरूरी नहीं तोड लाओ चांद-सितारें
दिल मेरा ऐसे भी बहल जायेगा ।
छाछ भी फूंक कर पीते हैं लोग
जिसे जलना है वह जल जायेगा।
छीन लो बैसाखी गिरने दो उसको
आज नहीं तो कल सम्भल जायेगा।
तुम चाहे खेलो नफ़रत की होलियां
प्यार गुलाल का वह मल जायेगा।
मैंने तो सुनायी थी चंद पंक्तियां पर
कोई कविता कह कोई गज़ल जायेगा।
होली की असीम शुभकामनायें !!!
सर्वाधिकार: अमरेन्द्र कुमार
Copyright: Amarendra Kumar
२००९
Sunday, March 8, 2009
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बड़ी ही दमदार पंक्तियाँ हैं....
ReplyDeleteसहलाते रहने से नासूर बनता है
कुरेदोगे तो कांटा निकल जायेगा।
होली की शुभकामनाओं सहित
संदीप त्यागी
आपको भी होली की ढेरों शुभकामनाएं!!!
ReplyDeleteमैं सीतामढी बिहार से हूँ. अच्छा लगा आपका ब्लॉग देख कर और जान कर की आप मुजफ्फरपुर के हैं. आप की ताजातरीन गजल अच्छी लगी. आभार!
ReplyDeleteगुबार है दिल का निकल जायेगा
ReplyDeleteबदला लेने से क्या बदल जायेगा।
बहुत अच्छे विचार हैं। अमरेन्द्र जी होली की सपरिवार शुभकामनाएँ। आज हिन्दी राइटर्स गिल्ड के होली मिलन उत्सव पर आपकी कमी खली।
आप सबकी प्रतिक्रिया के लिये धन्यवाद !!
ReplyDeleteसुमन घई जी, आप सब हमें याद करते हैं इससे और बडी बात क्या हो सकती है हमारे लिये...
सादर,
अमरेन्द्र और परिवार