Sunday, March 1, 2009

कहानी - कुछ सोचा है ?











सर्वाधिकार: अमरेन्द्र कुमार
Copyright: Amarendra Kumar

2 comments:

  1. धन्यवाद अमरेन्द्र जी.

    कहानी स्कैन करके छापने के बजाये यदि आप उसे टाइप करके देंगे तो पाठकों को पढ़ने में सुविधा होगी.

    चन्देल

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  2. अमरेन्द्र जी,

    कहानी अच्छी लगी। आपकी अन्य कहानियों से कुछ अलग- अपने-अपने दायरों में बँधे और उनकी समस्याओं में खोए लोग और बेफ़िक्र लडका-अच्छा दृश्य है। संवादों के बीच आपकी टिप्पणियाँ और भाव बहुत प्रभावकारी हैं।

    बधाई!..कहानी पढने में आसानी हो, ऎसा कुछ कीजिए..

    शैलजा

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