पिछले सर्वेक्षण का विषय था - हिन्दी भाषा एवं साहित्य - संकट और संभावना । उसमें पूछे गये प्रश्नों के जो उत्तर मिलें उसके आधार पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। संगीता पुरी जी ने अवश्य लिखा कि हिन्दी की अवनति के सबसे बडे कारण तो पाठक की कमी होनी चाहिए। उत्तर नहीं मिले उसके कई कारण हो सकते हैं। खैर, इस प्रक्रिया को जारी रखते हुए इस बार के सर्वेक्षण का विषय मैंने चुना है - प्रवासी साहित्य। पिछले कुछ समय से "प्रवासी" शब्द भारतीय जनमानस में कई कारणों से ध्यानाकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। जाहिर है साहित्य भी इससे अछूता नहीं। लघु पत्रिकाओं का प्रवासी अंक निकाला जाना, प्रवासियों के लिये पत्रिकाओं का प्रकाशन, प्रवासी सम्मेलन, प्रवासी पुरस्कार आदि "प्रवासी" की सत्ता और महत्ता को इंगित करते हैं। क्या है यह प्रवासी और प्रवासी साहित्य ? आईये जानें आपके विचार..
प्रश्न १ . आपकी दृष्टि में प्रवासी साहित्य क्या है ?
क) विदेश में बसे भारतीय (प्रवासी) द्वारा रचित साहित्य
ख) विदेश के परिवेश को रेखांकित करता साहित्य
ग) प्रवासी साहित्य जैसा कुछ होता नहीं
घ) अन्य (अपने विचार ५०-१०० शब्दों में प्रगट करें)
प्रश्न २ . आपकी दृष्टि में क्या प्रवासी साहित्य को भारत में रचे जा रहे साहित्य से अलग देखा जाना चाहिये ?
क) हां - क्योंकि तब उसका एक अलग मापदंड के तहत मूल्यांकन किया जा सकता है
ख) हां - क्योंकि प्रवासी परिवेश को समझने के लिये यह आवश्यक है
ग) नहीं - क्योंकि साहित्य साहित्य होता है देशी या प्रवासी नही
घ) अन्य (अपने विचार ५०-१०० शब्दों में प्रगट करें)
प्रश्न ३ . आपकी दृष्टि में प्रवासी साहित्य का स्तर कैसा है ?
क) उच्च
ख) साधारण
ग) निम्न
घ) अन्य (अपने विचार ५०-१०० शब्दों में प्रगट करें)
प्रश्न ४. आपकी दृष्टि में भारत में रचे जा रहे साहित्य की तुलना में प्रवासी साहित्य किस स्तर का है ?
क) बेहतर
ख) समकक्ष
ग) निम्न
घ) तुलना का कोई अर्थ नहीं
च) अन्य (अपने विचार ५०-१०० शब्दों में प्रगट करें)
एक बार फिर आपकी भागीदारी की अपेक्षा है। आप अपने मित्रों-परिचितों को भी इसमें भाग लेने के लिये प्रेरित कर सकते हैं।
सर्वेक्षण में भाग लेते समय निम्न बातों पर ध्यान दें -
१. यह आपकी स्वेच्छा है।
२. यह विचारों के विनिमय का मंच है हार-जीत का नहीं।
३. पूर्वाग्रहों, वैचारिक दृढता और अतिशयता से बचें ।
४. आप अपने उत्तर अगर सार्वजनिक रूप से प्रगट नहीं करना चाहें तो मुझे मेरे निजी ई-मेल पर भेज सकते है - amarendrak03@yahoo.com (कृपया ध्यान दें - 3 से पहले "शून्य" है)
5. इसका संदर्भ सार्वजनिक, सार्वदेशिक और सार्वकालिक है।
६. प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर सम्भव हैं और अंतिम विकल्प के रूप अपने विचार ५०-१०० शब्दों में प्रगट कर सकते हैं।
Monday, September 21, 2009
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अमरेंद्र जी,
ReplyDeleteइधर व्यस्तता के चलते ब्लाग देखना नहीं हुआ। पिछले विषय को आपने बंद कर दिया है या अभी भी विचार के लिये खुला है?
इस विषय पर टिप्प्णी क्या यहीं लगा दूँ या आपके ई-मेल पर भेजूँ?
मेरे साथ मेरे जैसे अन्य उत्सुकों को भी बताइयेगा।
गिल्ड के कार्यक्रम में आपकी और हर्षा और अच्युत की कमी खलेगी..
स्नेह
शैलजा जी,
ReplyDeleteपिछले सभी विषय विचारों के लिये सदैव खुले हैं। टिप्पणी अगर ब्लाग पर लगायें तो अच्छा होगा क्योंकि और लोग इसे पढ पायेंगे। इससे दूसरों को प्रोत्साहन भी मिलेगा।
गिल्ड के कार्यक्रम में हमारा आना नहीं हो पा रहा इसका हमें भी खेद है परन्तु कार्यक्रम की सफलता हेतु हमारी असीम शुभकामनायें आप सबके साथ है। कार्यक्रम की तैयारी को देखते हुए मेरा विश्वास है कि यह सफल रहेगा। रिपोर्ट की प्रतीक्षा रहेगी।
सादर,
अमरेन्द्र